लॉकडाउन के दौरान अपने घर लौट रहे मज़दूरों के दर्द को पूरे देश ने महसूस किया। इस दौरान कही लोगो की सड़क पर भूख-प्यास के कारण मौत भी हो गयी। मजदूरों के इस दर्द को देख मध्य प्रदेश गोविंदपुरा गाँव से पाँच दोस्तों ने 'धरती के लाल' नाम से अपनी एक कंपनी को शुरू किया। इसके तहत ये मसालों का बिजनेस करते हैं और अपने गाँव के 300 से भी ज्यादा घरों को रोजगार दे रहे है। आईये दोस्तो इस पोस्ट में हम इनकी सक्सेस स्टोरी को डिटेल्स में देखते है।
स्टार्टअप स्टोरी - दरअसल यह सक्सेस स्टोरी है बिहार के छपरा के रहने वाले आकाश अरुण और मध्य प्रदेश के रहने वाले इनके चार दोस्तों की। जिन्होंने लॉकडाउन के दौरान घर लौट रहे मज़दूरों तथा उनके परिवार का दर्द को समझा और इनकी मदद करने का डिसाइड किया। अरुण पेशे से एक पत्रकार हैं और ये लगभग पिछले 15 सालों से पत्रकारिता कर रहे हैं।लॉकडाउन के समय यह मध्य प्रदेश के मधुसूदनगढ़ तहसील में फंस गए थे जहाँ ये अपनी पत्नी को ससुराल छोड़ने गए हुए थे। लॉकडाउन के समय हर तरफ डर का माहौल था। जो मजदूर कही परेशानियों का सामना करते हुए अपने गाँव तो आ गए थे पर ना तो इनके पास रोजगार का कोई साधन था और ना ही इतनी सेविंग की ये 4 - 5 महीने तक अपना और अपने परिवार का पेट भर सकते। एसे में मजदूरों की इन प्रॉबलम्स को देखते हुए आकाश ने इनके लिए कुछ करने का सोच और इन्होंने अपने दोस्तों नवदीप सक्सेना, अभिषेक विश्वकर्मा, राहुल साहू, और अभिषेक भारद्वाज से बात की।
अब इनके सामने सबसे बड़ी प्रॉब्लम ये थी कि ऐसा क्या किया जाए जिससे इन मजदूरों और इनके परिवार की मद्त की जा सकते। एसे में नवदीप ने एक आईडिया दिया कि पास के गोविंदपुरा गाँव में 300 घर हैं जहाँ ज्यादातर भील जन-जाति के लोग रहते है इनके आदमी नौकरी के लिए शहर जाते है लेकिन औरते गाँव से बाहर नहीं निकल पाती है। एसे में इन्होंने इसी गांव से अपने मसाले के बिज़नेस को शुरू करने का डिसाइड किया और अगस्त, 2020 में धरती के लाल नाम से अपने स्टार्टअप की शुरुआत की। जिसमे इन्होंने 12 लाख रुपए का इन्वेस्टमेंट किया इन पैसों को सभी दोस्तों ने मिलकर जमा किया था।
बिज़नेस मॉडल - ये कच्चे मसालों को मंडी से खरीदते है और फिर इसे इनकी यूनिट पर लाया जाता है जहाँ इसकी सफाई की जाती है सफाई के बाद इन मसालों को पिसाई के लिए दिया जाता है। इसके बाद इनकी पैकेजिंग कि जाती है। पैकिंग के बाद इसे मार्केट में होलसेल और रिटेल में सेल किया जाता है।
संघर्ष और सफलता - शुरुआत में ये अपने प्रोड्क्टस को बेचने के लिए भोपाल आए लेकिन दुकानदारों ने इनके मसालों को खरीदने से मना कर दिया। 7 दिनों तक इन्होंने मार्केट में अपने प्रोड्क्टस को बेच ने की कोशिश की लेकिन इनका एक भी पैकेट नहीं बिका। लेकिन इन्होंने हार नही मानी और अंततः 8वें दिन इनके 10 किलो के प्रोड्क्टस सेल हुए इसके बाद हमने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। फिलहाल ये 100 ग्राम और 200 ग्राम के मसालों के पैकेट को तैयार करते है आज ये अपने प्रोड्क्टस को भोपाल के अलावा कही शहरों में भी सेल कर रहे है। इस बिज़नेस से आज ना केवल ये पांच दोस्त अच्छी कमाई कर रहे है बल्कि ये 300 आदिवासी परिवार को रोजगार भी दे रहे है। तो दोस्तो है सक्सेस स्टोरी थी पांच दोस्तो और इनके स्टार्टअप की स्टोरी पसन्द आयी तो इसे लाइक, शेयर, कमेंट जरूर करे।