Startup Story - भारत की पहली यूनिकॉर्न कंपनी की सक्सेस स्टोरी । InMobi India's 1st unicorn company success story

Innobi बेंगलूर बेस मोबाइल एडवरटाइजिंग टेक कंपनी है जिसकी शुरुआत नविन तिवारी ने 2007 में की थी। आज ये कंपनी गूगल एडमॉब के बाद वर्ल्ड की दूसरी सबसे बड़ी मोबाइल एडवरटाइजिंग कंपनी है। इस कंपनी की शरुआत मुंबई के एक फ्लैट से हुई थी लेकिन आज ये ऑल ओवर वर्ल्ड के 165 देशों में अपनी सर्वस प्रोवाइड करवा रही है। 2011 में Inmobi इंडिया की पहली यूनिकॉर्न कंपनी बनी और आज इस कंपनी की वेल्युशन 15 billion $ की है। आइए दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम Inmobi की कम्पलीट स्टार्ट अप स्टोरी को डिटेल्स में देखते है ।
 
नविन तिवारी - नविन तिवारी Inmobi के Founders और CEO है। नवीन तिवारी का जन्म 14 दिसंबर 1977 को कानपुर में हुआ था। उनके पिता का नाम डॉ. सचिदान है और ये IIT कानपुर के डीन और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर थे। । नवीन कानपुर में पले-बढ़े और इन्होंने IIT कानपुर से साल 2000 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में ग्रैजुएशन की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद इन्होने मैकिन्से एंड कंपनी में जॉब की और यही से अपने कैरियर की शुरुआत की 2003 तक इन्होंने इस कंपनी में जॉब की और फिर बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर डिग्री प्राप्त करने के लिए हार्वर्ड बिजनेस स्कूल चले गए। अपनी मास्टर्स की पढाई के टाइम ही इन्होने अमेरिका में इंडिया स्कूल हाउस नाम से NGO की शुरुआत की जो भारत में सरकारी स्कूलो के लिए फण्ड जुटाता था 

स्टार्टअप स्टोरी - नवीन तिवारी ने साल 2007 में मुंबई में मोहित सक्सेना, अमित गुप्ता, अभय सिंघल और कुछ वर्क्स के साथ एमखोज ( Mkhoj ) नाम से अपनी कंपनी की शुरुआत की। शुरुआत में ये कंपनी SMS आधारित सर्च सर्विस प्रोवाइड करती थी। इसके बाद साल 2009 में इन्होने भारत में बढ़ते मोबाइल मार्केट को देखा और अपनी  कंपनी का नाम बदल कर Inmobi रखा और इसे मोबाइल एडवरटाइजिंग फर्म में बदल दिया। Inmobi को लॉन्च करते ही कई चुनौतियां (challenges) इनके सामने आईं जिसमे सबसे पहली थी निवेशकों को आकर्षित (Attract investors) कर पाना बेहद मुश्किल था क्योकि आज से कुछ साल पहले देखा जाए तो भारत में निवेश (investment) को लेकर लोगों में जागरूकता (awareness) नहीं थी एसे में इनके पास एक ही ऑप्शन्स था की विदेशी निवेशकों (foreign investors) से अपनी कंपनी में निवेश (invest) कराये पर यहाँ पर भी इनके सामने प्रॉब्लम थी की विदेशी निवेशकों (foreign investors) को ये समझाया जाए की भारत में भी अच्छे सॉफ्टवेयर बनाए जा सकते हैं क्योकि आज से कुछ साल पहले तक भारत में टेक्नोलॉजी इतनी विकसित (developed) नही थी जिसके चलते इंडियन सॉफ्टवेयर की वेल्यु नही हुआ करती थी। 
लेकिन नवीन अपनी मेहनत और अनुभव (Hard work and experience) के दम पर सभी चुनौतियों का सामना करते रहे और आगे बढ़ते रहे Inmobi ने 15 दिसम्बर 2011 को सॉफ्टबैंक कैपिटल से 200 मिलियन डॉलर की फंडिंग को जुटाया (collected) और इसी के साथ  Inmobi भारत की पहली यूनिकॉर्न कंपनी बनी। हाल ही में  Inmobi ने 20 दिसम्बर 2020 को GOOGLE से 145 मिलियन डॉलर की फंडिंग जुटाई है। 


InMOBI की सफलता - आज ये कंपनी गूगल एडमॉब के बाद वर्ल्ड की दूसरी सबसे बड़ी मोबाइल एडवरटाइजिंग कंपनी है । इस कंपनी की शरुआत मुंबई के एक छोटे से फ्लैट से हुई थी लेकिन आज ये ऑल ओवर वर्ल्ड के 165 से ज्यादा देशों में अपनी सर्वस प्रोवाइड करवा रही है। 2011 में Inmobi इंडिया की पहली यूनिकॉर्न कंपनी बनी और आज इस कंपनी की वेल्युशन 15 billion $ की है। 
























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