2013 के आसपास, हर्षवर्धन सर अपने पिता के साथ ट्रांसपोटेशन बिज़नेस में काम कर रहा थे। कुछ टाइम अपने फैमेली बिज़नेस को करने के बाद इस बिजनेस से बाहर निकलकर अपने खुद का बिज़नेस शुरू करने के बारे में सोचने लगे और फिर कही अलग अलग बिज़नेस आईडिया पर रिसर्च किया और कोल्हापुरी जूते के बिज़नेस को शुरू करने का डिसाइड किया क्योकि हर्षवर्धन सर को कोल्हापुरी जुते बहुत पसंद थे और फिर इन्होंने इन जुतो को इनटरनेशन लेवल पर ले जाते हुए अपने बिज़नेस शुरू करने का डिसाइड किया। अपने बिज़नेस को शुरू करने से पहले ये कोल्हापुर गए। यहां उन्होंने स्थानीय कारीगरों से मुलाकात की और सैंडल के निर्माण की प्रक्रिया को करीब से देखा।
और फिर 2014 में चैपर्स नाम से अपने स्टार्टअप की शुरुआत पुणे से की।
अपने कोल्हापुरी चप्पल के बिज़नेस आईडिया को सलेक्ट करने के बाद, हर्षवर्धन सर ने अपने बिज़नेस के रिसर्च और डेवलपमेंट पे काम करना शुरू किया क्योंकि उन्हें चमड़े और शू बिज़नेस का कोई ज्ञान नहीं था। चमड़े के बारे में रिसर्च करते हुए इन्हें पता चला की कोलकाता, कानपुर और चेन्नई चमड़े का हब है, और इसके बारे में ओर डिटेल्स में जानने के लिए कोलकाता की गए यहाँ इन्होंने चमड़े की बुनियादी समझ हासिल करने के लिए निर्माताओं से मुलाकात की जिनसे इन्होंने चमड़े से जुड़ी हर बुनियादी जानकारी प्राप्त की। यहाँ से मिलने वाला चमड़ा इन्हें थोड़ा महगा पड़ रहा था और इनके पास शुरुआत में लिमिटेड अमाउंट होने के कारण, उन्होंने कोल्हापुरी जुते बनाने के लिए मुंबई में धारावी के स्क्रैप चमड़े के डीलरों से संपर्क किया और इन्होंने कोल्हापुर के कुछ कारीगरों से भी संपर्क किया और मुंबई में अपनी पहली वर्कशॉप शुरू की।
स्टार्टिंग में हर्षवर्धन सर ने अपने कोल्हापुरी चप्पल के बिज़नेस जिसे उन्होंने छोटे पैमाने पर शुरू किया था, लेकिन आज यह बिज़नेस इनटरनेशन लेवल पर पहुँच गया है अमेरिका, यूरोप आदि सहित 27 देशों में यह अपने प्रोड्क्ट को सेल कर रहे है। दोस्तों इस बिज़नेस की शुरुआत कोल्हापुरी चप्पल से की गई थी, लेकिन आज यह ब्रांड लोफर्स, सेंडल आदि का भी कारोबार करता। एक लिमिटेड इन्वेस्टमेंट के साथ शुरू हुआ ये बिज़नेस आज करोड़ो के टर्नओवर का ब्रांड बन गया है FY 21-22 का इस कम्पनी का टर्नओवर 2.5 करोड रहा।