Startup Story - बिहार निक्की झा के आइडिया को शार्क टेंक इंडिया ने रिजेक्ट किया, खुद से शुरू किया बिज़नेस आज 50 लाख का कर चुके बिज़नेस | Saptarshi startup story in hindi

इसी तरह के एक प्रोडक्ट ‘सब्जी कोठी’ को लेकर बिहार के भागलपुर के निक्की कुमार झा और उनकी बहन रश्मि झा गए आए। इन्होंने अपने आईडिया को जजो के सामने प्रजेंट किया जजो को आइडिया पसंद भी आया, लेकिन उनके प्रोडक्ट डिजाइन पर सवाल उठाते हुए चारों जजों ने एक-एक कर रिजेक्ट कर दिया।

लेकिन दोस्तो इन्होंने हार नही मानी और अपने अपने बिज़नेस पर काम करते रहे और इसी के चलते आज अपने इस स्टार्टअप से 50 लाख का बिज़नेस कर चुके है। आईये इस पोस्ट में हम इनके बारे में डिटेल्स में जानते है।


निक्की झा के बारे में - निक्की बिहार के भागलपुर जिले के रहने वाले है। इनके पिताजी फिजिक्स के टीचर थे। निक्की ने 12वीं क्लास तक अपने शहर से पढ़ाई करने के बाद वे IIT एंट्रेंस एग्जाम दिया जिसे ये क्रैक नहीं कर पाए जिसके बाद इनके पापा ने एक प्राइवेट कॉलेज में B.Tech में एडमिशन करवा दिया यहाँ से अपनी ‌B.Tech कम्पलीट करने के बाद नालंदा यूनिवर्सिटी से मास्टर की डिग्री हासिल की है। जिसके बाद 2019 में ‘सप्तकृषि’ के नाम से एक स्टार्टअप की शुरूआत की। फिलहाल अभी ये IIT कानपुर से प्रोडक्ट डिजाइन में PhD कर रहे हैं।


कैसे आया आइडिया - जब बैचलर के बाद इन्होने नालंदा में एडमिशन लिया वहा इनोवेशन के लिए इनके पास कई आइ़डिया थे, लेकिन कम्यूनिटी को माइंड में रखते हुए मैंने ‘सब्जी कोठी’ के बारे में सोचा। क्योकि एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में कुल उत्पादन का 40% फल-सब्जी की खराब होती है। इससे देश को सालाना लगभग 2 लाख करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान होता है। हमारे यहाँ गांव में सब्जी की खेती तो बंपर होती है, लेकिन किसानों, सब्जी बेचने वालों को मुनाफा नहीं मिल पाता है। सड़कों पर किसान अपनी फसल को फेंक देते हैं। हर रोज सैकड़ों टन सब्जियां-फल देश में बर्बाद होती है। इससे किसानों का, सब्जी बेचने वालों का काफी नुकसान होता है। बस इसी चीज को ध्यान में रहते हुए इन्होने ‘सब्जी कोठी’ बनाई ताकि किसानों की सब्जियां, फल सुरक्षित रह सकें। इनका यह प्रोडक्ट सब्जियों-फलों को 30 दिनों तक सुरक्षित रखता है। 


कैसे काम करती है ‘सब्जी कोठी’ - सबसे पहले इन्होने अपने प्रोडक्ट को कूलिंग रेफ्रिजरेटर के साथ डिजाइन किया था, लेकिन उनकी बहन रश्मि ने कहा कि यह कोई नया नहीं है। यदि नॉन-कूलिंग के साथ ऐसी कोई टेक्नोलॉजी बना पाओ तब यह किसानों के लिए अच्छी होगी और नया आइडिया कहा जाएगा। बस इसी आईडिया पर कम करते हुए इन्होने ‘सब्जी कोठी’ को बनाया। इसमें एक टेंट और एक डिवाइस होता है। इसमें लगा चैंबर हाई ह्यूमस जोन क्रिएट करता है और  यह बैक्टीरिया और फंगस को रोकता है। इसमें एक डिवाइस लगी होती है जो एथिलीन गैस को कैप्चर करता है। इस वजह से फल और सब्जियों के पकने का वक्त बढ़ जाता है। इससे वह ज्यादा दिनों तक सुरक्षित रहती हैं। दरअसल, सब्जियां, फल एथिलीन गैस की वजह से ही पकते हैं और वह सब्जियों पर एक्ट करता है जिससे वह सड़ने लगते हैं। सब्जीकोठी को ऑपरेट करने के लिए मात्र 10 वाट की जरूरत होती है। इसे बिजली या बैटरी से ऑपरेट किया जा सकता है। साथ ही सप्ताह में मात्र 2 लीटर पानी की जरूरत होती है। 

इसकी कॉस्ट 10 हजार रुपए तक की होती है। इनका कहना है की किसानों के लिए सस्ता है क्योंकि इससे अधिक कीमत की सब्जियां-फल किसान फेंक देते हैं। इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि इसे आसानी से ट्रांसपोर्ट किया जा सकता है। इसे देश में कहीं भी, किसी भी लोकेशन पर ले जाया जा सकता है।

फ्यूचर प्लान - ये अभी अपने प्रोडक्ट ‘सब्जी कोठी’ को सीधे ग्राहकों तक नहीं पहुंचा रहे हैं। इसे CSR और अन्य कंपनियों को बेच रहे हैं। इनके पास कुछ महीने में ही ओवर ऑर्डर आ चुके है और अभी तक लगभग 50 लाख का बिजनेस हो चुका है। ये ऐसे प्लान को भी तैयार कर रहे हैं जिससे की इस पर सब्सिडी मिले और सीधे किसानों को सस्ते दामों पर बेचें।


और साथ ही साथ निक्की इस तरह की योजना पर काम कर रहे हैं कि किसान इसे रेंट पर भी ले सकते हैं और हर महीने कुछ रुपए देकर इसका इस्तेमाल कर सब्जियों, फलों को खराब होने से बचा सकते हैं। इनका इस साल के अंत तक 6 करोड़ रुपए के बिजनेस का टारगेट है 



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